Journalist Vikram Joshi Murder Case Vijay Nagar Ghaziabad
Journalist Vikram Joshi का Murder Ghaziabad के Vijay Nagar इलाके में केवल इसलिए कर दिया गया क्योकि वह बदमाशों को अपनी भांजी को छेड़ने से रोकता था और उनके खिलाफ उसने पुलिस में कम्प्लेन कर रखी थी.
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दागदार खाकी-वालों के ऊपर नैतिक खाकी लगातार भारी पड़ रही है तभी तो लगभग सारे के सारे बदमाश गिरफ्तार कर लिए गये हैं. आज एक बार फिर से जनता मांग कर रही है की ऐसे दरिंदों को किसी भी कीमत में जीने का हक नहीं होना चाहिए, और इन्हें जल्दी से जल्दी सूली पर लटका देना चाहिए.
लेकिन दुःख तो इस बात का है की गुंडे बदमाशों के हक में मानवाधिकार संगठनों से लेकर राजैतिक दल तक के लोग लाम-बद्ध होकर प्रशाशन पर दबाव बनाते हैं. देखना है, योगी सरकार कैसे इस केस को हल करती है.
प्रशाशन ने तुरंत सहायता राशि, बच्चों को मुफ्त शिक्षा व पत्नी को उचित नौकरी देने की घोषणा से पीछे छूटे परिजनों के कष्टों को कम करने की व्यवस्था तो करी है, पर बड़ा प्रश्न अभी भी अन्नुत्तरित है, कि मुजरिमों को कब और कितने दिनों में बराबर की सजा दी जाएगी.
हम सभी आज दुःख की इस घडी में Journalist Vikram Joshi के परिवार के सांथ हैं. ईश्वर से प्रार्थना करते हैं की दिवंगत की आत्मा को शान्ति, शोकाकुल परिवार को इस गहन दुख को सहने की शक्ति दे व योगी सरकार बदमाशों को समानुपात में शीघ्रता से दंड देकर सामाजिक मानदंडों को प्रतिस्थापित करे.
Journalist Vikram Joshi |
Journalist Vikram Joshi Murder Case Vijay Nagar Ghaziabad
पत्रकार विक्रम जोशी हत्याकांड एक ऐसा हत्याकांड है जिसकी कल्पना तक कर पाना कठिन है.
क्या एक व्यक्ति की हत्या केवल इस बात के लिए हो सकती है की वह समाज के एक स्तम्भ, पत्रकारिता से जुड़ा हो ?
क्या एक व्यक्ति की हत्या केवल इसलिए भी हो सकती है कि वह, अपने परिवार की बहन बेटियों की हिफाजत करना चाहता है ? क्या एक व्यक्ति की हत्या इस लिए भी हो सकती है कि वह, एक जागरूक नागरिक के अपने कर्तव्यों का पालन करने को तत्पर रहता है ?
ऐसे कई सारे प्रश्न आज वातावरण में तैर रहें हैं, जो चिल्ला-चिल्ला कर प्रश्न पूछ रहें है कि, एक महिला को उसकी सुरक्षा की गारंटी देना, मौत का कारण कैसे हो सकता है ? जब अपने भी अपनों की रक्षा नहीं कर पाएंगे तो फिर कौन किससे सुरक्षा की गारंटी मांगेगा और कौन किसको, किसके भरौसे से ये गारंटी दे पायेगा.
सामाजिक सुरक्षा का ताना बना :-
प्राचीन समय से ही मनुष्य के जीवन में कुछ ना कुछ मान-मर्यादा के पारिवारिक, सामाजिक और प्रशाशनिक मान दण्ड निर्धारित किये गये थे. ऐसी व्यवस्थाएँ जीवन को केवल निर्बाध चलाने के लिए ही नहीं की गयी थी अपितु सामाजिक स्तर पर ऐसे अनेकों चेक व बैलेंस हर स्तर पर लगाये गए थे, ताकि मनुष्य का चंचल मन निरंकुस ना हो. वह किसी भी स्थिति में इतना ना गिरे की वह. . . . . किसी की हत्या ही कर दे. राम-राम-राम आज ऐसा क्यों हो रहा है की सारी व्यवस्थाएँ . . . . . तार-तार होकर छिन्न-भिन्न सी प्रतीत हो रहीं हैं.
सुरक्षा की प्रशाशनिक गारंटी :-
सुरक्षा की गारंटी प्रत्येक भारतीय का मौलिक अधिकार है. और सरकार व प्रशाशन को इसके लिए नैतिक रूप से जिम्मेदार माना जाता है. पारंपरिक रूप से राजशाही में राजा को ये अधिकार प्राप्त होता था की वह अपनी प्रजा के कष्टों को दूर करने के लिए कठोर नियम क़ानून बनाकर उन्हें तोड्नेवालों को अविलम्ब दण्डित करके अपने राजधर्म का पालन करता था. कालचक्र की गति से समय बदलते बदलते लोकतान्त्रिक प्रणाली का आ गया. बीच के बदलते समय ने जीवनयापन सम्बंधित व्यवस्थाओं पर ऐसा कुठाराघात किया कि, व्यक्ति का व्यक्तिगत सुख ही, उसके जीवन का आधार बन गया.
अपने सुखों की झोली कहीं खाली ना रह जाय इसलिए हर कोई इसी तिकडम में रहता है की येन केन प्रकारेण लोटरी तो उसी की लगे. इसके लिए खोखले होते राजनेतिक दलों ने अपना क्षत्रप बचाए रखने के लिए, पहले तो जनता का ही खून चूसा, उससे पेट नहीं भरा तो महत्वा कांक्षी गुंडे-बदमाशों को उकसाकर, अपने ही प्रशाशन के बल पर, सामाजिक दमन चक्र की नई व्यवस्थाओं को सृजित किया. तथाकथित ऐसे स्व्यम्भुओं ने अपने को अजर-अमर मानकर सबको अपने जैसा लुटेरा ही समझा और माना.
इन्हें सपने में भी ये ख्याल ना आया होगा कि, ये स्थितियां भी कभी बदल सकती हैं. तभी तो ये आज भी इसी गलतफहमी में हैं की खिला-पिला के सब रफा-दफा हो जाएगा. नेताओं की तो छोडिये पुलिस प्रशाशन में भी इन्होने गुंडा राज कायम रखने के लिए बदनाम वर्दीधारियों को पोषित किया वरना विक्रम जोशी की रिपोर्ट पर त्वरित संज्ञान लेकर उसकी जान ना बचाई जा सकती थी. अफ़सोस ऐसा कुछ ना हुआ. आज भी नेताओं के ऐसे ट्विट आ रहें हैं जो कार्यवाही की मांग के बदले ओछी राजनीति में ही लगे हैं.
राजनेतिक ट्विट |
हत्यारोपी बदमाश |
प्रशाशन ने तुरंत सहायता राशि, बच्चों को मुफ्त शिक्षा व पत्नी को उचित नौकरी देने की घोषणा से पीछे छूटे परिजनों के कष्टों को कम करने की व्यवस्था तो करी है, पर बड़ा प्रश्न अभी भी अन्नुत्तरित है, कि मुजरिमों को कब और कितने दिनों में बराबर की सजा दी जाएगी.
पारिवारिक सुरक्षा कवच :-
हम उस देश के नागरिक हैं जहाँ मातृ-शक्ति, माँ बहनों को पूजा जाता है. हमारे संस्कार माँ की आराधना कर कंचक पूजकर नवरात्रों के पूजन किये जाते हैं. बहन भाई की कलाई में इस उम्मीद और आशा से रक्षा सूत्र / राखी बांधती है की उसका भाई जीवन में इतना सफल हो की वह अपने परिवार के सभी कष्टों को दूर कर सके और उसको आजीवन सुरक्षा की गारंटी दे सके.हम सभी आज दुःख की इस घडी में Journalist Vikram Joshi के परिवार के सांथ हैं. ईश्वर से प्रार्थना करते हैं की दिवंगत की आत्मा को शान्ति, शोकाकुल परिवार को इस गहन दुख को सहने की शक्ति दे व योगी सरकार बदमाशों को समानुपात में शीघ्रता से दंड देकर सामाजिक मानदंडों को प्रतिस्थापित करे.
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