7/25/2020

Rashtriya Swyamsewak Shangh क्या है ?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समझने से पहले हमें संघ, संगठन, स्वयमसेवक व शाखा जैसे सामान्य शब्दों की जानकारी कर लेनी चाहिए. जिससे की हम RSS अर्थात संघ को आसानी से समझ सकें.

Rashtriya Swayamsewak Sangh
Rashtriya Swayamsewak Sangh

Rashtriya Swyamsewak Shangh


* संघ क्या है ?

सामान्यतया समानार्थी सोच वाले लोगों के समूह को ही हम संघ कहते हैं. संघ कई प्रकार के होते हैं.

* संगठन क्या है ?

एक जैसी समानार्थी सोच से प्रेरित एक लक्ष्य के लिए कार्य करने वाले व्यक्तियों के समूह को संगठन कहते हैं.

* एक संगठन में कौन-कौन संम्मिलित हो सकते हैं ?

एक जैसी समानार्थी सोच से प्रेरित, एक लक्ष्य के लिए कार्य करने वाले व्यक्ति संगठन में संम्मिलित हो सकते हैं. 

* अलग अलग प्रकृति के लोगों का संगठन क्यों नहीं हो सकता है ?

सामान्य रूप से भिन्न-भिन्न प्रकृति के लोगों का आपस में ताल-मेल बैठना कठिन होता है. और बेमेल परस्पर विपरीत प्रकृति के लोगों के संगठन का कोई अर्थ नहीं होता है. सामान्य जीवन में भी सभी लोग मिलावट रहित शुद्ध वस्तुओं को ही जीवन में प्रयोग करना चाहते हैं, मिलावटी वस्तुऐ नुक्सान पहुचाती हैं.

मिलावटी सामान के क्या क्या नुकसान हो सकते हैं ? हम सभी जानते ही हैं. अतः मिलावट मानसिक रूप से अस्वीकार्य है. Quality Product के निर्माण के लिए विशुद्ध चीजों की आवश्यकता होती है. उदाहरणार्थ शुद्ध जल व शुद्ध वायु इतनी मूल्यवान हैं की एक शुद्ध आक्सीजन (मेडिकल आक्सीजन) के सिलेंडर का मूल्य पांच सौ रूपये व एक लीटर उच्च गुणवत्ता वाले पानी को लोग 650 रूपये प्रति लीटर तक की कीमत में भी खरीदते हैं. इससे स्पष्ट होता है की शुद्ध चीजें कितनी मूल्यवान और अनमोल हैं. 

Quality product दूर से ही चमकता है वह सर्वमान्य रूप से सभी को पसन्द होता है. अतः सभी उसको अपनाना  चाहते हैं. अपने जीवन में, उच्च आदर्शों का, दैनिक, अनुसरण करने वाले लोगों का, संगठन, निश्चित ही अपने लक्ष्यों को प्राप्त करता है. इसलिए कठिन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जीवन मे सत-संगती, प्रेरणा के सांथ-सांथ अपने शुभचिंतकों के लिए कुछ ना कुछ त्याग का भाव व्यक्ति के मन में होना ही चाहिए. 

वर्तमान परिदृष्य में तब, जब की, बिना जुगाड़ के, एक पग भी आगे बड़ना कठिन है, लोगों का विश्वास, इन सैद्धांतिक बातों को, पचा नहीं पाता है. ये सब उन्हें कपोल कल्पित सी, बातें लगती हैं. . . . . . !!! किन्तु सच को आंच नहीं. और वैसे भी हम सभी ने अपने सफल वर्तमान जीवन के निर्माण के लिए, पूर्व में कितनी मेहनत करी है, वो हम सब भली प्रकार से जानते ही हैं.

किन्तु परिस्थिति जन्य, परिस्थितियां, हमें दबाव में लाती हैं. और हम समझते जानते हुए भी सही बात का अनुसरण  करना तो दूर सही बात का समर्थन करने तक में स्वयं को असहाय सा महसूस करते हैं, और पचड़े से बचने के लिए, परिस्थिति वश आचरण करने लगते हैं. इन परिस्थिति जन्य, परिस्थितियों ने, भारत को सोने की चिड़िया से गरीब, पिछड़े और भिखारी देश के रूप में, विश्व के सामने खडा कर दिया था.

अब से कोई एक, दो, तीन दशकों पूर्व, आजादी के बाद से लगातार विश्व के इस समृद्धशाली राष्ट्र को धीमे-धीमे क़ानून सम्मत परिस्थितियां बनाकरके, ऐसा बर्बाद करने का कुचक्र चलाया गया कि यदि देश को वर्तमान सवेदनशील सरकार ना मिली होती तो, आज की ये कोरोना महामारी ताबूत में अंतिम कील का सा काम करती.

खैर ये सभी बातें हम इस "जीवनोत्कर्ष प्रेरणा" मंच के माध्यम से लगातार समय-समय पर करते रहेंगे. आप से अपेक्षा है कि आप, राष्ट्र निर्माण के अपने दायित्व को, बगैर किसी भी प्रकार की स्थिलता बरते, अपना समर्थन दें, आपके पास इस सन्दर्भ में यदि कोई सुझाव हो तो, उसे कम्मेंट के माध्यम से हम तक अवश्य पहुचायें. इस रोमांचकारी यात्रा के सहयात्री बनने के लिए हम आप सभी को हृदय से आमंन्त्रित करते हैं. आपसे आग्रह है इस ब्लॉग को लाईक, फॉलो व  सोशियल मीडिया के माध्यम से फेसबुक, ट्विटर व व्हात्सेप में शेयर करके अपना समर्थन व्यक्त करेंगें. 

ऐसे स्वयं अपने व जनसामान्य के जीवन के उत्कर्ष और राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करने वाले सेवा-भावी लोगों को हम स्वयमसेवक कहते हैं.

सामान्यतया उपरोक्त इच्छा लगभग सभी लोगों के मन में होती तो है, पर उन्हें ये समझने में कठिनाई होती है, की ये सब संभव होगा तो होगा कैसे. . . . . . ??? 

हर आसान आसान से लगने वाले कामों में भी तकनिक, के ऐसे ऐसे पेंच बनाकर, फसाए गये हैं, की उनसे पार पाना असंभव नहीं तो आसान भी कदापि नहीं है.

अब, जब, हर रास्ते में, केवल बाधाऐ ही बाधाऐ हैं, तो फिर इस चक्रव्यूह को, तोडा कैसे जाएगा, कौन तोड़ेगा उसे . . . . . . ही-मेन जैसे काल्पनिक केरेक्टर केवल सिनेमाघरों के परदे में ही होते हैं. भारत उदय के लक्ष्य को लेकर हाजारों-लाखों लोग एक साथ रोज दैनिक साधना करते हैं. ये स्वयमसेवक जिस स्थान पर दैनिक, सहर्ष, स्वप्रेरित  एकत्रित होकर सभी की उन्नति के लिए अभ्यास करते हैं उसे ही शाखा कहते हैं. और इसके संचालक संगठन को "राष्ट्रीय स्वयमसेवक संघ" के नाम से विश्व जानता है.


संघे शक्ति कलियुगे
संघे शक्ति कलियुगे 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ माँ भारती को परम वैभवशाली पद पर प्रतिष्ठित करने के लिए कृतसंकल्पित है. और प्राण-प्राण से कार्यरत भी है. आइये मिलकर नये भारत के निर्माण में सहयोगी बने.

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