मोक्ष क्या है ? और कैसे प्राप्त होता है ?
वस्तुतः मोक्ष का अभिप्राय जन्म मरण के बंधन से मुक्त होना है.
किन्तु वैश्विक स्तर पर 90% लोग इसपर विश्वास ही नहीं कर पाते हैं !!
क्योंकि उनका आध्यात्मिक ज्ञान बहुत थोरा या नहीं के बराबर है. जिन्हें आध्यात्म / पराविज्ञान की जानकारी है वे इसे अच्छी तरह से समझते हैं.
सामान्य जानकारी के उद्देश्य से कहना चाहता हूँ की पंच तत्व से निर्मित इस पंचभूत शरीर के भीतर वो तत्व क्या है ? जिसके रहने तक ही यह शरीर हरकत करता है और उसके शरीर त्यागते ही यह करामाती शरीर हाड मांस का लोथड़ा मात्र रह जाता है, इतना ही नहीं हाथ की ऊँगली की स्थिती तक हम परिवर्तित नहीं कर पाते.
अब प्रश्न यह उठता है की आत्म तत्व कहाँ से कैसे इस शरीर में प्रवेश करता है ? और आयु पूर्ण होने के पश्चात कहाँ चला जाता है ?
सामान्यतया हम यह मानते हैं की तृप्त आत्मायें मोक्ष प्राप्त करती हैं और अत्रिप्त आत्मायें जन्म मरण के चक्र में तब तक घूमती रहती हैं जब तक की मोक्ष प्राप्त ना कर ले अर्थात परमात्मा में विलीन ना हो जांय .
भारत भूमि को इस भूमंडल में मोक्ष दाई प्रदेश माना जाता है इसीलिये संसार के वो सभी लोग जो अच्छी आध्यात्मिक उन्नति कर लेते हैं मोक्ष की प्राप्ति हेतु भारत के धार्मिक स्थलों की यात्राएँ करते हैं.
अतः मोक्ष ख़ुद को "यह समझा लेना कि मोक्ष मिल गया है" नहीं है.
आप मेरे से असहमत भी हो सकते हैं. मैंने तो अपनी मोटी बुद्धि से उत्तर दिया है.
मोक्ष को को ठीकसे समझने और प्राप्त करने के लिए तो योग का ही सहारा लेना पड़ता है.
हम अपने प्रारब्ध व स्वभाग्य से ही भारत भू में जन्में हैं अतः हमें इस अवसर को नहीं चूकना चाहिए.
किन्तु मोक्ष तो उसी को प्राप्त होगा जो इसके लिए उपक्रम करेगा साधना करेगा.
!! हरिओम तत्सत !!