4/21/2020

मोक्ष क्या है ? और कैसे प्राप्त होता है ?

हरिओम , नमोनारायण !!

वस्तुतः मोक्ष का अभिप्राय जन्म मरण के बंधन से मुक्त होना है.

किन्तु वैश्विक स्तर पर 90% लोग इसपर विश्वास ही नहीं कर पाते हैं !!

क्योंकि उनका आध्यात्मिक ज्ञान बहुत थोरा या नहीं के बराबर है. जिन्हें आध्यात्म / पराविज्ञान की जानकारी है वे इसे अच्छी तरह से समझते हैं.

सामान्य जानकारी के उद्देश्य से कहना चाहता हूँ की पंच तत्व से निर्मित इस पंचभूत शरीर के भीतर वो तत्व क्या है ? जिसके रहने तक ही यह शरीर हरकत करता है और उसके शरीर त्यागते ही यह करामाती शरीर हाड मांस का लोथड़ा मात्र रह जाता है, इतना ही नहीं हाथ की ऊँगली की स्थिती तक हम परिवर्तित नहीं कर पाते.
अब प्रश्न यह उठता है की आत्म तत्व कहाँ से कैसे इस शरीर में प्रवेश करता है ? और आयु पूर्ण होने के पश्चात कहाँ चला जाता है ?

सामान्यतया हम यह मानते हैं की तृप्त आत्मायें मोक्ष प्राप्त करती हैं और अत्रिप्त आत्मायें जन्म मरण के चक्र में तब तक घूमती रहती हैं जब तक की मोक्ष प्राप्त ना कर ले अर्थात परमात्मा में विलीन ना हो जांय .
भारत भूमि को इस भूमंडल में मोक्ष दाई प्रदेश माना जाता है इसीलिये संसार के वो सभी लोग जो अच्छी आध्यात्मिक उन्नति कर लेते हैं मोक्ष की प्राप्ति हेतु भारत के धार्मिक स्थलों की यात्राएँ करते हैं.

अतः मोक्ष ख़ुद को "यह समझा लेना कि मोक्ष मिल गया है" नहीं है.

आप मेरे से असहमत भी हो सकते हैं. मैंने तो अपनी मोटी बुद्धि से उत्तर दिया है.

मोक्ष को को ठीकसे समझने और प्राप्त करने के लिए तो योग का ही सहारा लेना पड़ता है.

हम अपने प्रारब्ध व स्वभाग्य से ही भारत भू में जन्में हैं अतः हमें इस अवसर को नहीं चूकना चाहिए.

किन्तु मोक्ष तो उसी को प्राप्त होगा जो इसके लिए उपक्रम करेगा साधना करेगा.

!! हरिओम तत्सत !!

4/18/2020

विश्वास की ताकत

एक बार विश्वास की ताकत के दम पे दो बहुमंजिली इमारतों के बीच बंधी तार की रस्सी पर लंबा सा बाँस पकड़े एक नट चल रहा था, उसने अपने कन्धे पर अपना बेटा बैठा रखा था। सैंकड़ों, हज़ारों लोग दम साधे देख रहे थे।सधे कदमों से, तेज हवा से जूझते हुए अपनी और अपने बेटे की ज़िंदगी दाँव पर लगा उस कलाकार ने दूरी पूरी कर ली।

Power of Trust विश्वाश की ताकत
Power of Trust विश्वाश की ताकत

"प्रभु में विश्वास की ताकत "


भीड़ आह्लाद से उछल पड़ी, तालियाँ, सीटियाँ बजने लगी । लोग उस कलाकार की फोटो खींच रहे थे, उसके साथ सेल्फी भी ले रहे थे। उससे हाथ मिला रहे थे ।

अचानक वो कलाकार माइक पर आया और बोला  "क्या आपको विश्वास है कि मैं यह कार्य दोबारा भी कर सकता हूँ"

 भीड़ चिल्लाई "हाँ हाँ, तुम कर सकते हो।"

उसने पूछा, क्या आपको विश्वास है"

भीड़ चिल्लाई "हाँ हमें पूरा विश्वास है, हम तो शर्त भी लगा सकते हैं कि तुम सफलतापूर्वक इसे दोहरा भी सकते हो।"

कलाकार बोला " पूरा पूरा विश्वास है ना" 

भीड़ बोली......हाँ है।

कलाकार बोला "ठीक है, कोई मुझे अपना बच्चा दे दे, मैं उसे अपने कंधे पर बैठा कर रस्सी पर चलूँगा।"

खामोशी, शांति, चुप्पी फैल गयी।

कलाकार बोला, "डर गए अभी तो आपको विश्वास था कि मैं कर सकता हूँ। असल मे आप का यह विश्वास सिर्फ एक सोच है, भरोसा नहीं है।दोनों विश्वासों में फर्क है साहब।"

 जी हां, 

यही कहना है 
- ईश्वर हैं ये सोच तो है 
परन्तु 
ईश्वर में सम्पूर्ण विश्वास,भरोसा नहीं है, 


तो 


अतः हमें अपने जीवनोत्कर्ष के लिए विश्वास की ताकत से प्रेरणा लेनी चाहिए.

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4/09/2020

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